इंग्रजी बाराखडी क ते ज्ञ पर्यंत - आजीवन संगिनी कस्‍तूरबा की पहचान सिर्फ यह नहीं थी आजादी की लड़ाई में उन्‍होंने हर कदम पर अपने पति का साथ दिया था, बल्कि यह कि कई बार स्‍वतंत्र रूप से और गाँधीजी के मना करने के बावजूद उन्‍होंने जेल जाने और संघर्ष में शिरकत करने का निर्णय लिया। वह एक दृढ़ आत्‍मशक्ति वाली महिला थीं और गाँधीजी की प्रेरणा भी।